همسرایی فلوتها،عودها وكوسها...
دو شعر از اوسیپ ماندلشتام (1938– 1891)
شامگاهی لطیف. تاریكوروشنی وقارآلوده و مهم.
غرّش پس غرّش. خاكریز پس خاكریز.
و بادی نمناك كه با رویاندازی آغشته به نمك
ما را به صورت میكوبد.
همه چیز فرونشست. همه چیز در هم آشفت.
امواج، مستِ ساحل بودند.
شادمانی كوركورانهای ما را فرا رسید –
و دلهامان سنگین و سخت شدند.
آشفتگی تیرهای گیج و مدهوشمان ساخت،
هوایی پر از مستی تخدیرمان نمود،
و همسرایی عظیمی ما را به خواب برد:
همسرایی فلوتها، عودها و كوسها...
Вечер нежный. Сумрак важный.
Гул за гулом. Вал за валом.
И в лицо нам ветер влажный
Бьет соленым покрывалом.
Все погасло. Все смешалось.
Волны берегом хмелели.
В нас вошла слепая радость —
И сердца отяжелели.
Оглушил нас хаос темный,
Одурманил воздух пьяный,
Убаюкал хор огромный:
Флейты, лютни и тимпаны...
***
SILENTIUM (سكوت)
او هنوز زاده نشده است،
او موسیقی است و كلام،
و زین سبب ارتباط گسستناپذیریست
در میان تمام كائنات ذیحیات.
به آرامی نفس میكشد سینهی دریا،
امّا روز چه سان دیوانهوار روشن شد،
و آنك یاس رنگپریدهی كف امواج
در درون این جام آبی و كبود.
و اینك لبان من،
بنای سكوتی بكر و بدیع میگذارند،
همچون نغمهای كریستالگون
كه پاكی هنگام زادهشدن را دارد.
ای آفرودیت، دست از زادهشدن بدار و بازهم كفی بر امواج باقی بمان؛
و ای كلام به موسیقی بازگرد؛
و ای قلب، شرم از آن قلبی كن،
كه با بنیان زندگانی در آمیخته است!
SILENTIUM
Она еще не родилась,
Она и музыка и слово,
И потому всего живого
Ненарушаемая связь.
Спокойно дышат моря груди,
Но, как безумный, светел день,
И пены бледная сирень
В черно-лазоревом сосуде.
Да обретут мои уста
Первоначальную немоту,
Как кристаллическую ноту,
Что от рождения чиста!
Останься пеной, Афродита,
И слово в музыку вернись,
И сердце сердца устыдись,
С первоосновой жизни слито!
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برگردان از روسی: مسعود احمدینیا
تنظیم:بخش ادبیات تبیان